2027 तक AI एक देश के बराबर बिजली की खपत करेगा : हाल ही में एक रिसर्च में पता चला है कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्वीडन , नीदरलैंड , फिनलैंड , इंगलैंड आदि छोटे देशों के बराबर बिजली खपत करने लगेगा धीरे-धीरे एआई का उपयोग बढ़ता जा रहा है और इसको चलाने के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत पड़ती है जिससे बिजली में कमी आने वाली है कुछ रिसर्चर मानते हैं कि 2027 तक इसकी मांग एक छोटे से देश के बराबर हो जाएगी ।
जब हम किसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बनाते हैं तो हम उसको बहुत सारा डाटा प्रदान करते हैं और उसे डाटा प्रदान करने में बहुत सारी ऊर्जा का उपयोग किया जाता है यह ऊर्जा भारत के करीब 100 घरों को 1 साल तक बिजली दे सकती है जितनी डाटा को ट्रांसफर करने और एक एआई को सिखाने में 1 घंटे में खर्च होती है । क्योंकि हम chat GPT, जेनेसिस, जैमिनी आदि एआई की बात कर रहे हैं जिनको सीखने के लिए डाटा की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है और यह आए दिन नए-नए डाटा को कलेक्ट करते रहते हैं इसलिए इनको ऊर्जा की ज्यादा जरूरत पड़ती है ।
क्या 2027 तक AI एक देश के बराबर बिजली की खपत करेगा ?
अभी सिर्फ अनुमान लगाया जा रहा है वैसे यह अनुमान सही भी हो सकता है क्योंकि जेनरेटेड ai और डीप लर्निंग आदि मेथड का प्रयोग करने पर ऊर्जा की बड़ी मात्रा की जरूरत पड़ती है और धीरे-धीरे नई-नई कंपनियां इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और नए-नए टूल का उत्पादन कर रहे हैं । आज के समय में हजारों ऐसे ai है जिनका उपयोग एंड्राइड , सॉफ्टवेयर , फाइनेंस एग्रीकल्चर, उद्योग आदि में हो रहा है और इनकी संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है ।
तो ऐसा मुमकिन है की आने वाले 4 साल में ऊर्जा की खपत अपनी सीमाएं तोड़ दे इससे ऊर्जा की खपत तो बढ़ेगी साथ में ऊर्जा का उत्पादन भी कम होने लगेगा इसलिए जरूरत है आज के समय में ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करना क्योंकि बहुत सारे देश अभी भी परंपरागत ऊर्जा पर निर्भर करते हैं इसलिए हमें इसका दूसरा उपाय ढूंढना पड़ेगा ताकि हम नवीकरणीय ऊर्जा को ज्यादा से ज्यादा बना सके और इसका उपयोग एआई में कर सकें जिससे ऊर्जा में कमी भी नहीं आएगी और लोगों को ऊर्जा की आपूर्ति होती रहेगी ।
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नवीकरणीय ऊर्जा का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रयोग
मानव को ऊर्जा के क्षेत्र में नए अनुसंधान करने की जरूरत है मानव को ऐसे आई बनाने चाहिए जो सोलर ऊर्जा से चले और सौर ऊर्जा से अपनी ऊर्जा की खपत करें इससे दो चीज होगी एक तो ऊर्जा की मांग और पूर्ति पर प्रभाव नहीं पड़ेगा इसके साथ ही ए के क्षेत्र में जरूरत पड़ने वाली ऊर्जा के लिए अधिक पैसा नहीं देना पड़ेगा क्योंकि सोलर ऊर्जा एक बेहतर विकल्प है इसका प्रयोग करके ऊर्जा की मांग को कम किया जा सकता है ।
अगर आपको नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में जानकारी नहीं तो यह ऐसी ऊर्जा है जो कभी खत्म नहीं होती जैसे सौर ऊर्जा ,पवन ऊर्जा आदि इसके उदाहरण है । मानव अभी जैविक ऊर्जा की खपत ज्यादा करता है जो एक दिन खत्म हो जाएगी । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को ऊर्जा की एक समय बहुत जरूरत पढ़ने वाली है । आगे चलकर जो भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोडक्ट बनेंगे वह बहुत ऊर्जा खायेंगे इसलिए इसकी तैयारी भी अभी से करनी पड़ेगी ।
जब हम जेनरेटिव एआई का प्रयोग करके डाटा का प्रयोग करते है तो जरूरत है कि इसमें कम से कम ऊर्जा की खपत हो । हमको ऐसे टूल बनाने होंगे जो काम ऊर्जा में भी अपना काम कर ले । इसके लिए उनको ज्यादा सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा पर निर्भर रहना पड़ेगा । ताकि वह काम करते करते ही स्वयं चार्ज हो जाए । ऊर्जा की हास दर को कम करके भी इसको बचाया जा सकता है ।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में ऊर्जा की खपत
जब हम किसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को प्रशिक्षण देते है तो वह एक घंटे में 433 मेगावाट बिजली की खपत करता है । इसका मतलब भारत के 100 घरों को एक साल तक बिजली दी जा सकती है । इसके अलावा कंप्यूटर चलाने में , कोडिंग के समय , अन्य उपकरण जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रयोग होते है उनमें भी ऊर्जा की खपत होती है । एक समय ऐसा आएगा की यह एआई एक छोटे से देश के बराबर ऊर्जा खपत करने लगेंगे जो कि एक समस्या उत्पन्न कर देगा ।
वैसे भी गरीब और विकासशील देशों में ऊर्जा की मात्रा कम है उनको 24 घंटे ऊर्जा नही मिल पाती । इसलिए सभी को मिलकर इस बारे में सोचने की जरूरत है ताकि इसका हल निकाला जा सके और नवीकरणीय ऊर्जा को भी बढ़ावा मिल सके ।
आपने पेट्रोल , डीजल के दाम तो बढ़ते सुने होंगे उसी प्रकार अगर बिजली के दाम भी बढ़ने लगे तो उसका सबसे ज्यादा भार गरीब वर्ग पर पड़ेगा । और वह इससे उभर नही पाएंगे । सभी देशों को मिलकर इसमें कोई अहम कदम उठाने की जरूरत है जिससे इसका कुछ परिणाम प्राप्त हो सके ।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रयोग ऊर्जा और विकासशील देश में उपयोग ऊर्जा
अगर मानव ने अभी इस समस्या का समाधान नहीं निकाला तो एक समय आयेगा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक बड़े देश के बराबर ऊर्जा की खपत करने लगेगा । इससे सबसे ज्यादा ऊर्जा की कमी विकासशील देशों में दिखेगी । भारत जैसे देश आज भी ऊर्जा को खरीदते है । इसके बाद अगर लोगो ने एआई प्रोडक्ट इस्तमाल करना शुरू कर दिया तो लोगो को ऊर्जा की ओर जरूरत पढ़ने वाली है ।
निष्कर्ष ( conclusion )
इन सभी समस्याओं से निपटने का सबसे अच्छा विकल्प अपरंपरागत ऊर्जा का उपयोग करके और इसका उत्पादन बढ़ा कर हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में इसका प्रयोग कर सकते है । जिससे इस क्षेत्र में आने वाली समस्या कम हो जाएंगी । अमेरिका , जापान , चीन जैसे देश आज के समय में ऊर्जा के बहुत बढ़े उपभोक्ता है । अगर यह देश अपने यहां यह परिवर्तन लाते है तो ऊर्जा का 30% तक बचाया जा सकता है ।
UN को इस बारे में सोचकर अहम फैसला लेने की जरूरत है जिससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो सके । और ऊर्जा की समस्या से निजात पा सके ।
अगर आप भारत में ऊर्जा के क्षेत्र में होने वाली खपत की रिपोर्ट देखना चाहते है तो सरकार की इस वेबसाइट पर पढ़ सकते है – क्लिक करें